New Sufi Shayari in Hindi 2024 | सूफी शायरी हिंदी | Sufi Shayari Status
Sufi Shayari – हेलो दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये है शानदार सूफी शायरी अगर आप भी सूफी शायरी सर्च कर रहे है तो हम आपके लिए लेकर आये है सूफी शायरी हिंदी में और सूफी शायरी इमेजेस जिसे आप अपने इंस्टाग्राम या फिर फेसबुक पर स्टोरी लगा सकते है हम आप के लिए ऐसे ही बेहतरीन शायरी लेकर आते रहेंगे उम्मीद करता हु ये शायरी आपको पसंद आएगी अगर आपको ये शायरी अच्छी लगे तो आप हमें कमैंट्स करके ज़रूर बताये
बस जान गया मैं तिरी पहचान यही है
तू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता
जाम हाथ में हो और होंठ सूखे हुये,
मुआफ करना यारो इतने सूफी हम नहीं हुये।
तेरी आवाज है कि सूफी का कोई नग्मा है,
जिसे सुनूँ तो सुकूँ जन्नतों सा मिलता है।
Sufi Shayari
भगवा भी है रंग उसका सूफी भी
इश्क की होती है ऐसी खूबी ही
जान से हो गए बदन ख़ाली
जिस तरफ़ तू ने आँख भर देखा
तेरी आरजू में हो जाऊं ऐसे मस्त मलंग,
बेफिक्र हो जाऊं दुनिया से किनारा करके।
Sufi Shayari in Hindi
तुम जानते नहीं मेरे दर्द का कमाल
तुम को जहाँ मिला सारा, मुझे बस खुदा
दिल-ए-हर-क़तरा है साज़-ए-अनल-बहर
हम उस के हैं हमारा पूछना क्या
तेरी आरजू में हो जाऊं ऐसे मस्त मलंग,
बेफिक्र हो जाऊं दुनिया से किनारा करके।
Sufi Shayari Status
जब कमान तेरे हाथों में हो फिर कैसा डर मुझे तीर से
मुर्शिद मैं जानता हूँ तुम इश्क़ करती हो मुझ फ़क़ीर से
तेरे इश्क मे हम सब से जुदा हो गए
सूफी हम और खुदा तुम हो गए !
दरिया से मौज मौज से दरिया जुदा नहीं
हम से जुदा नहीं है ख़ुदा और ख़ुदा से हम
सूफी शायरी इन हिंदी
जग में आ कर इधर उधर देखा
तू ही आया नज़र जिधर देखा
हुम्हे पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो,
हुम्हारा शहर तो बस यूँ ही रास्ते में आया था।
ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है,
रहे सामने और दिखाई न दे
इलाही कुछ फेर-बदल कर दस्तूर में
मैं सवाली बनूँगा और वो ख़ैरात बने
कतरे कतरे पर खुदा की निगाहे करम है..
न तुम पर ज्यादा न हम पर कम है
मै वादा करता हूं कि मै तुम्हे
नहीं छोड़ूंगा और मै वादा करता
हूं कि मै उस वादे को नही तोड़ूंगा !
हर तमन्ना दिल से रुख़्सत हो गई
अब तो आ जा अब तो ख़ल्वत हो गई
अगर आप कभी गलत को
जाने नही देगे तो आपको
सही व्यक्ति कभी नही मिलेगा !
अपने दर्द मे मत खो जाना
एक दिन आपका दर्द ही
आपका इलाज बनेगा !
ज़ाहिर की आँख से न तमाशा करे कोई
हो देखना तो दीदा-ए-दिल वा करे कोई
जिस दिन मै तुमसे मिला मुझे
अपना खोया हुआ प्यार मिला !
मुझतक कब उन की बज़्म में आता था दौर-ए-जाम
साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में
हम अपनी म्यार ज़माने से जुदा रखते हैं
दिल में दुनियां नहीं इश्क़ -ए- ख़ुदा रखते हैं
हमारा तो इश्क़ भी सूफियाना है
इश्क़ करते करते हम खुद ही सूफी हो गए
तुम जानते नहीं मेरे दर्द का कमाल ,
तुम को जहाँ मिला सारा, मुझे बस खुदा
फ़रेब-ए-जल्वा कहाँ तक ब-रू-ए-कार रहे
नक़ाब उठाओ कि कुछ दिन ज़रा बहार रहे
तेरे क्या हुए सब से जुदा हो गए,
सूफी हो गए हम तुम खुदा हो गए
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